Monday, February 27, 2017

राजनीतिक अंधापन


आणविक युद्ध क्षितिज पर है, एड्‌स जैसा घातक रोग तेज गति से फैल रहा है, और वैज्ञानिक कहते हैं कि पृथ्वी अपनी धूरी को इस सदी के अंत में बदल लेगी।
लेकिन पंडित, राजनेता और सरकारें इन तथ्यों के बारे में सचेत क्यों नहीं हैं? और क्यों वे जनता में जागरुकता पैदा करने में रुचि नहीं रखते? 
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है जो पूछा जा सकता है, लेकिन तुम्हें कुछ गहरे आशय समझने होंगे, जिनके बारे में हो सकता है कि तुम सचेत न हो।
लोगों को भविष्य के प्रति बेखबर रखने में राजनेताओं और पंडित -पुजारियों के निहित स्वार्थ होते हैं। कारण बड़ा सरल है : यदि लोग भविष्य के प्रति, आने वाले अंधकार के प्रति, और मौत जो प्रतिपल पास आ रही है, उसके प्रति सजग हो जाते हैं तो यहां पूरी दुनिया में लोगों की चेतना में एक बड़ी क्रांति हो जाएगी। और राजनेता और पंडित -पुजारी जिन्होंने सदियों से मानवता पर शासन किया है, वे अच्छी तरह से जानते हैं कि वे कोई भी समस्या का निदान नहीं दे सकते जो मानवता भविष्य में देखने वाली है। वे पूरी तरह से नपुसंक हैं। समस्याएं बहुत बड़ी हैं और वे बड़े क्षुद्र हैं। अपने चेहरे बचाने का एक मात्र तरीका यह है कि लोगों को आने वाले कल की बातों के प्रति पूरी तरह से बेखबर रखा जाए।
मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि दुनिया भर में राजनीति सिर्फ बचकाने लोगों को आकर्षित करती है। यह अलबर्ट आइस्टींन, बर्टेंड रसल, जॉन पॉल सार्त्र, रवीन्द्रनाथ टैगोर को आकर्षित नहीं करती...नहीं, यह एक तरह के लोगों को आकर्षित करती है। मनोवैज्ञानिक इस बात को जानते हैं कि जो लोग हीनता की ग्रँथि से ग्रसित हैं वे लोग राजनीति की तरफ आकर्षित होते हैं, क्योंकि राजनीति उन्हें शक्ति दे सकती है। और शक्ति के द्वारा वे स्वयं को और दूसरों के सामने सिद्ध कर सकते हैं कि वे क्षुद्र नहीं हैं, कि वे औसत दर्जे के नहीं हैं।

No comments:

Post a Comment