सांसारिक जीवन सतह पर होता है। इसका इतनी गहनता से आनंद लिया जाना चाहिए कि तुम्हें इसमें पवित्रता, दिव्यता मालूम पड़ने लगे। दिव्य और कुछ नहीं बस इतना ही है कि इस क्षण में, इस दुनिया में, इस जीवन में, इस शरीर में गहरे उतरना।
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